Saturday, 6 February 2021

जानिए क्या है करंसी मैनिपुलेशन मॉनिटरिंग और अमेरिका ने भारत को इस लिस्ट में क्यों डाल दिया!

 


निर्धारित पैरामीटर 20 अरब डॉलर से अधिक है। साथ ही भारत का फॉरेन एक्सचेंज का नेट पर्चेज 64 अरब डॉलर रहा जो 2.4 फीसदी है। दो पैरामीटर लागू होने के चलते भारत को करंसी मैनिपुलेशन मॉनिटरिंग (Currency manipulation) की लिस्ट में रखा गया है 

हाल ही में अमेरिका ने भारत, ताइवान, थाईलैंड, चीन, जर्मनी, इटली, सिंगापुर और मलेशिया जैसे देशों को करंसी मैनिपुलेटर की लिस्ट में डाल दिया है। करीब डेढ़ साल पहले भी भारत को इस लिस्ट में डाला गया था और अब फिर से भारत को इस लिस्ट में डाल दिया गया है। आइए समझते हैं कि आखिर भारत ने ऐसा क्या किया कि उसे इस लिस्ट में डाला गया। जानते हैं कि क्या होता है करंसी मैनिपुलेशन (Currency manipulation) और अमेरिका किन देशों को इस लिस्ट में डालता है।

क्या है करंसी मैनिपुलेशन?

जब भी अमेरिका को ऐसा लगता है कि कोई देश गलत तरीके से कोई करंसी प्रैक्टिस कर रहा है, जिससे अमेरिकी डॉलर की कीमत पर असर पड़ रहा है तो अमेरिकी सरकार का ट्रेजरी डिपार्टमेंट उस देश को करंसी मैनिपुलेटर का लेबल दे देता है। यानी इसमें देश जानबूझकर अपनी करंसी की वैल्यू को किसी तरह कम करता है, जिससे दूसरे देशों की करंसी के मुकाबले फायदा होता है। बता दें कि विदेशी करंसी को डी-वैल्यू करने से उस देश की निर्यात में लगने वाली लागत कम हो जाती है।

3 पैरामीटर से तय होता है करंसी मैनिपुलेशन

करंसी मैनिपुलेटर का लेबल देने के लिए अमेरिका ने 3 पैरामीटर तय किए हैं। अगर किसी देश पर इन तीन में से 2 पैरामीटर भी लागू हो गए तो अमेरिका उसे अपनी मॉनिटरिंग लिस्ट में डाल देता है। अगर तीनों पैरामीटर लागू हो जाते हैं तो उस देश को करंसी मैनिपुलेटर का लेबल दे दिया जाता है। अभी अमेरिका ने करंसी मैनिपुलेशन मॉनिटरिंग की लिस्ट में 8 देश रखे हैं, जबकि 2 देशों को करंसी मैनिपुलेटर घोषित कर दिया है।

करंसी मैनिपुलेशन के ये हैं 3 पैरामीटर

अमेरिका से उस देश के बायलेटरल ट्रेड सरप्लस एक साल की अवधि के दौरान 20 अरब डॉलर से ज्यादा होना।

2- करंट अकाउंट सरप्लस का 12 महीने के अंदर देश की GDP का कम से कम 2 फीसदी होना।

3- साल भर में कम से कम 6 बार फॉरेन एक्सचेंज नेट पर्चेज का जीडीपी का 2 फीसदी होना।

इस लिस्ट में आने से क्या होता है नुकसान?

वैसे तो किसी भी देश पर इस लिस्ट में डाले जाने का कोई असर नहीं पड़ता है, लेकिन ग्लोबल फाइनेंशियल मार्केट में उस के लिए नेगेटिव सेंटिमेंट पैदा हो सकते हैं, जिसकी वजह से कुछ नुकसान हो सकता है।



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